भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के युगपुरुष कहे जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी की पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ की लोकप्रियता का रंग अब फीका पड़ता नज़र आ रहा है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रधर्म पत्रिका की डायरेक्टेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी की मान्यता को रद्द कर दिया है। जिसके बाद यह पत्रिका केंद्र के विज्ञापनों की सूची से बाहर हो गई है।
आपको बता दें कि राष्ट्रधर्म पत्रिका की शुरुआत 1947 में हुई थी, अटल बिहारी वाजपेयी इस पत्रिका के संस्थापक संपादक थे। तो वहीं जनसंघ के संस्थापक पं. दीनदयाल उपाध्याय पत्रिका के संस्थापक प्रबंधक थे। इस पत्रिका का मकसद संघ के द्वारा राष्ट्र के प्रति लोगों के धर्म के बारे में जागरुक करने का था। सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें कुल 804 पत्र-पत्रिकाओं की डीएवीपी मान्यता को रद्द किया गया है, इस लिस्ट में यूपी से भी 165 पत्रिकायें शामिल हैं।
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