प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2015 में ‘पीएम आवास योजना’ शुरू की थी। योजना शुरू करने के दौरान जनता से वादा किया गया था कि 2022 तक देश के किसी भी गांव में कोई भी ऐसा परिवार नहीं होगा, जिसके पास पक्का मकान नहीं होगा। लेकिन मध्यप्रदेश में अब सरकार के इस वादे में कुछ फेरबदल कर दिया गया है।
13 बिंदुओं के नियम का हवाला देकर व्हाट्सएप पर जारी आदेश ने एमपी के हज़ारों परिवार की छत छीन ली। आपके पास फ्रिज, नाव, मोटर साइकिल, बैंक का कर्जा, शादी नहीं हुई आदि इन सबमें कोई एक भी है तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
मध्य प्रदेश में रहने वाले 50 साल पार कर चुके देवीलाल दोनों पैरों से मजबूर हैं। अविवाहित हैं और गांव में अपनी बूढ़ी मां के साथ रहते हैं। साल 2015 में ग़रीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना उनके लिए एक उम्मीद लेकर आई कि अब उन्हें कच्चे मकान में नहीं रहना पड़ेगा। योजना के मुताबिक -पक्के मकान के लिए एक लाख पचास हज़ार रुपए पांच किश्तों में मिलने थे। पहली किश्त कच्चे मकान को तोड़ने के बाद और दूसरी किश्त दीवारें बनने के बाद। नियमानुसार देवीलाल ने अपना घर तोड़ा और दीवार डाल दी। दो किश्तों में अस्सी हज़ार रुपये आ गए। छत डालने की तैयारी ही कर रहे थे कि सरकार के एक फरमान ने देवीलाल को तोड़ कर रख दिया।मार्च 2017 के आख़िरी हफ़्ते में मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत ग्रामीण विकास के मुख्य सचिव ने व्हाट्स ऐप पर एक आदेश जारी किया। इसके तहत 13 शर्तें रखी गईं और अगर कोई उन्हें पूरा ना करे तो उसे योजना से निकालने और खाते में जा चुकी राशि वसूलने के आदेश हुए।
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