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- मोटरसाइकिल या नाव
- फ्रिज
- लैंडलाइन फोन
- खेती के लिए तीन पहिया या चार पहिया उपकरण
- पक्का मकान
- परिवार का सदस्य सरकारी सेवा में
- खेती के अलावा कोई काम या दुकान का लाइसेंस
- आयकर दाता
- व्यवसाय करदाता
- पांच एकड़ या उससे ज़्यादा ज़मीन
- ढाई एकड़ या उससे अधिक सिंचित ज़मीन और एक सिंचाई उपकरण
- कोई सदस्य जिसकी आय दस हज़ार रुपए महीने से ज़्यादा हो
या फिर पचास हज़ार रु से अधिक वाला क्रेडिट कार्ड - यानी इनमें से एक भी चीज़ जिसके पास है उसे स्कीम से निकाल दिया गया. व्हाट्स ऐप पर आए इस आदेश ने राज्य के हज़ारों परिवारों के सिर से छत छीन ली.
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक 70 साल की सूरजबाई अपने पति के साथ एक कच्चे मकान में रहती थी। पक्के मकान की आस में कच्चा मकान तोड़ दिया और खुले आसमान के नीचे रहना शुरू कर दिया। लेकिन बैंक से 50 हजार का कर्ज लेने के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना से बाहर हो गई।
वहीं दूसरी तरफ कुछ ही दूरी पर सत्तर साल के गोकुल सिंह अपना उजड़ा घर समेटने में लगे हैं। किसी वजह से शादी नहीं हो पाई। पक्के मकान की आस में घर तोड़ लिया। बाद में आए आदेश के मुताबिक अविवाहित को मकान की ज़रूरत नहीं। प्रधानमंत्री आवास योजना के नियमों पर गौर किया जाए तो यह स्पष्ट है कि कोई भी ऐसा परिवार जिसके पास कच्चा मकान है या अस्थायी तंबू आदि में रहता है वह इसके लिए पात्र है।
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