बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है। वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलेगा। फिलहाल इस मामले में कल्याण सिंह को गर्वनर पद पर होने के कारण राहत है लेकिन पद से हटते ही उन पर भी मुकदमा चलेगा। धारा 120 (बी) के तहत मामला चलाया जाएगा। इसके अलावा मामले की सुनवाई कर रहे जज का इस बीच तबादला भी नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राय बरेली और लखनऊ में चल रहे अलग-अलग मामलों की सुनवाई एक-साथ होगी। 25 साल बाद इस मामले पर फैसला आया है। साथ ही कोर्ट ने दो साल के अंदर कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया है। SC कोर्ट ने कहा है कि मामले में रोजाना सुनवाई हो और सुनवाई पूरी होने तक जज का ट्रांस्फर नहीं है सकता। साथ ही कोर्ट ने CBI को गवाहों की मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है।
क्या है सेक्शन 120-B : इंडियन पेनल कोड 1860 के मुताबिक, इस मामले में दोषी पाए जाने पर सजा ए मौत, आजीवन कारावास या फिर दो साल तक की सजा मिल सकती है।
दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होगी: छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने से संबंधित दो तरह के मामले हैं। पहला अज्ञात ‘कारसेवकों’ से जुड़ा है जिसमें सुनवाई लखनऊ की एक अदालत में चल रही है जबकि दूसरी तरह के मामले रायबरेली की एक अदालत में वीवीआईपी से संबंधित हैं। रायबरेली वाले केस को चार हफ्ते में लखनऊ ट्रांसफर किया जाएगा।
दो साल पहले ‘कोबरापोस्ट’ ने इस मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन किया था।
यहां वीडियो में देखिये- क्या था ‘बाबरी मस्जिद विध्वंस’ का पूरा मामला?