बीजेपी प्रवक्ता ने इस बारे में कई बैंक स्टेटमेंट्स और अन्य दस्तावेज मीडिया के सामने पेश किए ताकि अपनी इस बात को साबित कर सकें कि कांग्रेस ‘खैरात’ बांटने में लगी हुई थी और मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद ‘वसूली’ का अभियान चलाया। बीजेपी की तरफ से जो दस्तावेज पेश किए गए, उनसे पता चलता है कि 2005 से 2013 के दौरान विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों को जो 36.5 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, उसे मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान माफ कर दिया गया था।
दरअसल, बीजेपी इन आंकड़ों के जरिए अपने ऊपर लगने वाले उन आरोपों को खारिज करना चाहती है कि मोदी सरकार ‘अंबानी और अडानी की सरकार’ है। बीजेपी ने उन आरोपों का भी खंडन किया है कि जब बैंक शराब कारोबारी विजय माल्या से लोन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करने वाले थे तब मोदी सरकार माल्या पर काफी नरम थी।
शर्मा ने कहा, ‘2012 में जब विजय माल्या 1450 करोड़ रुपये का लोन चुका पाने में नाकाम रहे थे तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने माल्या ग्रुप के बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया था। हालांकि, इसके बावजूद माल्या को 1500 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। यह बीजेपी ही थी जिसने 2014 में सत्ता में आने के बाद लोन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू की। अडानी, अंबानी और माल्या का जन्म पिछले ढाई साल के दौरान नहीं हुआ है। ये उतने ही पुराने हैं, जितनी कांग्रेस पार्टी और ये तब से फल-फूल रहे हैं जब राहुल गांधी का जन्म भी नहीं हुआ था। अगर इन बिजनस घरानों का बैकग्राउंड खराब है तो इस बारे में कांग्रेस को ज्यादा सफाई देने की जरूरत है कि आखिर ये कैसे फले-फूले।’