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वृंदा ने कहा कि नोटबंदी से निश्चित ही महिलाओं की बचत पर असर पड़ा है और महिलाएं पूरी तरह से इस कदम के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हिंदुस्तान को बचाना है तो चुनाव सुधार करने होंगे, यह केवल वाम दलों से जुड़ा मुद्दा नहीं है।
करात ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने पैसे का हिसाब-किताब देना होगा, क्योंकि यह संसदीय प्रणाली के लिए अनिवार्य है, लेकिन भाजपा ऐसा कभी नहीं चाहेगी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खर्चों का उल्लेख करते हुए करात ने कहा कि हकीकत यह है कि संघ रिमोट कंट्रोल नहीं बल्कि प्रत्यक्ष कंट्रोल है। उन्होंने कहा काला धन और भ्रष्टाचार पर कानून और संस्थानों के साथ ही जनता को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
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