नोटबंदी का असर: बिना कुछ किए ही सारा कालाधन पहुंच गया वापस सरकार की तिजोरी में, पढ़िए कैसे

0
कालाधन
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नई दिल्ली। आठ नवंबर 2016 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई जब पीएम मोदी ने राष्ट्र के संबोधन में ऐलान किया कि आधी रात से पांच सौ और एक हजार के नोट अब महज कागज के टुकड़े रह जाएंगे। पीएम मोदी के इस फैसले को विपक्षी दलों ने तानाशाही,अघोषित आपातकाल का नाम दे दिया। लेकिन आर्थिक मामलों से जुड़ी संस्थाओं का कहना है कि भारत एक बार फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है। इन संस्थाओं ने क्या कहा ये हम आपको बताएंगे लेकिन उसे पहले ये जान लीजिए कि बिना कुछ किए ही सारा कालाधन वापस सरकार की तिजोरी में कैसे पहुंच गया।

इसे भी पढ़िए :  कभी धमकी, कभी कॉमेडी, कभी इमोशन तो कभी देशप्रेम- ये था मोदी का भाषण

मोटा-मोटी कहें तो कोई भी सरकार या कोई भी देश उतनी ही करेंसी छाप सकता है जितना उसके पास सोना और विदेशी मुद्राओं का भंडार हो। भारत सरकार ने इन दोनों की बिनाह पर जितनी करेंसी छापी थी, उसमें सबसे ज्यादा 500 और 1000 के नोट छापे थे। इन्ही नोटों को लोग कालाधन बनाकर दबा कर बैठे थे। अब दूसरा सीन देखिए। सरकार ने 30 दिसंबर तक नोट बदलने की व्यवस्था लागू की है। 30 दिसंबर तक सरकार के पास नोट आ जाए तो ठीक। जो लोग अपना काला धन नहीं निकालेंगे उसे सोने और विदेशी मुद्रा से कैल्कुलेट करके सरकार वापस नोट की शक्ल में बाज़ार में निकाल देगी। मतलब बिना कुछ किए ही सरकार के पास सारा कालाधन एक झटके में पहुंच गया।

इसे भी पढ़िए :  कलयुगी बेटे की करतूत: 70 साल की मां को बेरहमी से पीटकर किया लहू-लुहान, दिल थामकर देखें वीडियो

अगले पेज पर पढ़िए : वापस मिले कालेधन को कहां खर्च कर सकती है सरकार

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse