प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित देश की सबसे लंबी चनैनी-नाशरी सुरंग को कश्मीर की भाग्य रेखा बताया था, लेकिन हकीकत में इसकी अपनी जीवनरेखा बिजली है। आधुनिक सिस्टम से लैस सुरंग में हर समय बिजली आपूर्ति देने के लिए दोनों छोरों पर खास प्रबंध तो किए गए हैं, लेकिन बिजली बंद नहीं होगी, इसकी गारंटी नहीं है। अगर सुरंग की बिजली आपूर्ति एक घंटे से ज्यादा बंद रहती है तो इसे बंद करना पड़ेगा, क्योंकि इतना बैकअप नहीं कि टनल की प्रणालियों को सुचारू रख सकें।
9.2 किलोमीटर लंबी चनैनी-नाशरी सुरंग ऊधमपुर और रामबन जिले के पहाड़ों में बनी है।सुरंग में लगे सीसीटीवी कैमरे इसकी आंख हैं तो वेंटिलेशन सिस्टम सांस। लीनर हीट एसेसिंग केबल तापमान की जानकारी देती है तो संचार प्रणाली इसकी जुबान और कान हैं, लेकिन इन सभी प्रणालियों के काम करने के लिए बिजली बेहद अनिवार्य है।टनल की बिजली आपूर्ति के लिए चनैनी व नाशरी छोर पर दो रिसीविंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। यदि प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य तकनीकी खराबी के चलते सरना और किशनपुर से दोनों रिसीविंग स्टेशनों की लाइन में खराबी आ जाए तो सुरंगको बिजली मिलनी बंद हो जाएगी। आमतौर पर बिजली जाने की स्थिति से निपटने के लिए टनल में जेनरेटर लगाए जाते हैं, लेकिन चनैनी-नाशरी टनल में जेनरेटर नहीं है।
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हालांकि, बैकअप के लिए यूपीएस की व्यवस्था है, लेकिन इसके सहारे एक घंटे तक ही टनल को यातायात के लिए खुला रखा जा सकता है। ऊधमपुर ग्रिड के एक्सईएन शाम लाल गुप्ता का कहना था कि टनल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदा व तकनीकी कारणों से बिजली आपूर्ति बंद होने की बात को नकारा भी नहीं जा सकता। टनल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर जेएस राठौर का कहना था कि यहां हर समय बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए दो स्वतंत्र रिसीविंग स्टेशन बनाए गए हैं। एक साथ दोनों के बंद होने की बहुत कम संभावना है। यदि दोनों छोरों से बिजली आपूर्ति बंद होती है तो 20 मिनट के बाद टनल को यातायात के लिए बंद करने के निर्देश हैं। दोनों छोरों पर बिजली गुल होने की स्थिति में यूपीएस बैकअप के सहारे एक घंटे तक टनल को खुला रखा जाएगा।’
































































