चीन की हकीकत एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने आ गई हैं, सिक्किम में नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए चीन द्वारा बॉर्डर के दरवाजे न खोलने वाले सच से पर्दा उठ गया हैं। चीन ने जानबूझकर नाथुला पास का बॉर्डर कैलाश-मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए नहीं खोला था। इसी वजह से बॉर्डर पर तनाव का माहौल बन गया है। चीन का कहना है कि सुरक्षा कारणों के चलते यह बॉर्डर नहीं खोला गया है। चीन ने भारत पर ही उलटा आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत ने चीन की सीमा में परेशानी खड़ी करने की कोशिश की और चीनी इलाके में बनने वाली सड़क के काम में बाधा डाली थी। चीन ने इस रास्ते में भारतीय सीमा में घुसपैठ की जो कोशिश की है उसको किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
हरकत उस वक्त की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं और सोमवार को ही उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप से कई मुद्दों पर बातचीत की है। चीन द्वारा की गई घुसपैठ की कोशिश और दो भारतीय बंकरों को तबाह करने के पीछे उसकी वह बौखलाहट साफ झलकती है जिसकी वजह मोदी-ट्रंप की मुलाकात है। चीन की भारत के खिलाफ आंखें तरेरने का सिलसिला करीब दस दिन पहले शुरू हुआ था। इसके बाद सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते भारतीय सेना ने फ्लैग मीटिंग का भी अनुरोध किया था लेकिन चीन इस पर नहीं माना। बावजूद इसके 20 जून को दोनों पक्षों में बैठक जरूर हुई थी लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला था। हालांकि अतीत में झांककर देखें तो सिक्किम के डोका ला क्षेत्र जहां इस बार चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है वहां यह पहली घटना नहीं है। नवंबर 2008 में भी पीएलए ने यहां घुसपैठ कर भारत के कुछ सैन्य बंकर नष्ट कर दिए थे।
इतना ही नहीं चीनी मीडिया ने इस बात का जिक्र भी किया था कि इस मुलाकात में पाकिस्तान को सबक सिखाने पर भी चर्चा की जाएगी। इसके पीछे कुछ बड़ी वजह बताई गई थीं। इनमें से पहली वजह दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों के बीच तनाव, दूसरी वजह जिबूति में चीन का मिलिट्री बेस बनाया जाना है। इसको लेकर अमेरिका इसलिए भी असहज है क्योंकि वहां पर उसका भी नेवल बेस है और यह रास्ता स्वेज नहर के लिए दक्षिण की तरफ से आने वाला मार्ग है। तीसरी और अंतिम वजह चीन की उत्तर कोरिया से नजदीकी है जिसके चलते बार-बार उत्तर कोरिया अमेरिका को आंख दिखाता है।