चाइनीज माल नहीं खरीदेंगे तो होगा भारत का नुकसान – पढ़िए कैसे

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हालांकि मेक इन इंडिया और दूसरी स्कीमों से स्थानीय उत्पादनकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि दिवाली की भारी डिमांड अभी घरेलू सप्लाइ से पूरी नहीं हो सकती। हरियाणा सरकार के कुछ मंत्रियों के आह्वान के बाद मंगलवार को रेवाड़ी, सोनीपत और फरीदाबाद से कई ट्रेड असोसिएशंस की ओर से चाइनीज सामान की खरीद-बिक्री नहीं करने की अपील और कुछ जगहों पर चाइनीज सामान जलाने की खबरें भी आईं। पुरानी दिल्ली के कुछ बाजारों की ट्रेड असोसिएशंस भी अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर चाइना के खिलाफ समर्थन जुटाती दिखीं। लेकिन सीधे तौर पर चाइनीज इम्पोर्ट और होलसेल ट्रेडिंग से जुड़े कारोबारियों में इसे लेकर टेंशन देखी जा रही है।

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हालांकि होलसेलर्स का मानना है कि बीते कुछ सालों में दिवाली के कुछ चाइनीज उत्पादों की आवक घटती जा रही है। दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स असोसिएशन के मेंबर और चाइनीज लड़ियों के इम्पोर्टर आशीष दीवान कहते हैं, ‘इस साल पटाखे और फायर प्रॉडक्ट बिल्कुल नहीं आ रहे। एलईडी लड़ियों और दीयों में सस्ते चाइनीज उत्पादों की मांग बनी हुई है। हालांकि कुछ घरेलू कंपनियां सप्लाइ बढ़ा रही हैं, लेकिन वे भी कच्चा माल चाइना से ही मंगा रही हैं।’

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कारोबारी मानते हैं कि चाइनीज उत्पादों के खिलाफ मुहिम भावनात्मक और महज इत्तेफाक है। उनका कहना है कि यही तनाव अगर जून-जुलाई में होता तो बहुत से इम्पोर्टर ने माल बुक नहीं कराया होता। कारोबारी कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने भी हालिया संदेशों में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की बात तो कही, लेकिन चाइनीज उत्पादों का नाम तक नहीं लिया। सरकार अगर इस बारे में स्पष्ट रुख जाहिर कर दे तो घरेलू ट्रेडर भी उसी के मुताबिक अपनी तैयारी करेंगे।

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