कोयला घोटाला – ‘थक गया हूं जज साहब, अब जेल जाना चाहता हूं’

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कोयला घोटाला
फाइल फोटो

नई दिल्ली : मामला कोयला घोटाला से जुड़ा है। सुनकर शायद अजीब लगे कि आरोपी खुद गुहार लगा रहा है कि उसे जेल भेज दिया जाए। लेकिन है ये सच।कोयला घोटाला से जुड़े अधिकतर मामलों में फंसे पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता ने मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष नाटकीय तरीके से आरोप स्वीकार कर लिया। याचिका लगाकर उन्होंने कहा, ‘मैं मुकदमा लड़ते-लड़ते थक गया हूं। न मेरे पास केस लड़ने की ताकत बची है और न ही रुपये। जज साहब, मुङो जेल में डाल दिया जाए।’

पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष मध्य प्रदेश में कमल स्पोंज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (केएसएसपीएल) से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान गुप्ता की पत्नी और पुत्र भी कोर्ट में उपस्थित थे। न्यायधीश के सीट से उठने के बाद कोर्ट रूम में अन्य लोगों की गैरमौजूदगी में गुप्ता की पत्नी और बेटे से बात की गई। कुछ समय के लिए गुप्ता को कोर्ट रूम से बाहर भेजकर वकीलों ने परिजनों को ऐसा करने के कानूनी पहलुओं के बारे में बताया गया। बातचीत के बाद अदालत ने एससी गुप्ता को इस याचिका पर दोबारा विचार करने के लिए वक्त दिया है। अब 17 अगस्त को सुनवाई होगी।

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गुप्ता ने याचिका में कहा कि पेश मामले में उनका बेल बांड भरने वाले शख्स को मुक्त कर दिया जाए। साथ ही उनका मुकदमा लड़ने के लिए अधिकृत किए गए तीन वकील बीएस माथुर, रजत माथुर और मनोज चौधरी को भी मुक्त किया जाए। वह अपने बचाव में अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश किए गए किसी भी गवाह से पूछताछ नहीं करना चाहते हैं। वह सिर्फ जेल जाना चाहते हैं। अदालत ने ऐसा करने की वजह जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से विभिन्न मामलों में ट्रायल का सामने करते हुए थक चुके हैं। मुकदमों के बोझ से उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहद कमजोर हो गई है। उनके पास आगे वकीलों को देने के लिए भी रुपये नहीं बचे हैं। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि अगर कमजोर आर्थिक स्थिति ही पीछे हटने का प्रमुख कारण है तो अदालत उनके लिए दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी से कहकर मुफ्त कानूनी मदद का इंतजाम कर सकती है या न्यायमित्र का इंतजाम भी किया जा सकता है। गुप्ता ने शुरुआत में किसी भी प्रकार की सहायता लेने से इन्कार कर दिया, लेकिन समझाने के बाद उन्होंने अपनी याचिका पर सोचने के लिए वक्त लेना स्वीकार कर लिया।

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