दया ठीक है, लेकिन आवारा कुत्तों को समस्या बनने नहीं दिया जा सकता: SC

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार(14 सितंबर) को कहा कि आवारा कुत्तों के प्रति दया दिखानी चाहिए, लेकिन उन्हें समाज के लिए समस्या बनने नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि इस मामले के मुख्य याचिकाकर्ता भारतीय जीव कल्याण बोर्ड द्वारा दायर उस संशोधित माड्यूल के पहलुओं पर विस्तृत सुनवाई करेगी, जिसमें आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने तथा अन्य उपायों के लिए ढांचे का क्रियान्वयन शामिल है।

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पीठ ने कहा कि ‘‘आवारा कुत्तों के प्रति दया दिखाई जानी चाहिए, लेकिन इसके साथ इन जानवरों को समाज के लिए समस्या नहीं बनने दिया जा सकता। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए संतुलन की जरूरत है।’’

बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम तथा अधिवक्ता अंजलि शर्मा ने कहा कि संशोधित माड्यूल में रेबीज के खतरे को समाप्त करने तथा मानव और कुत्ते के टकराव को कम करने के लिए पशु क्रूरता रोकथाम कानून के तहत बनाए गए जीव जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमों में दी गई प्रक्रिया तथा विभिन्न राज्यों तथा याचिकाकर्ताओं के सुझाव मौजूद हैं।

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बोर्ड ने पीठ को सुझाव दिया कि इन उपायों को लागू करने के लिए विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियों के प्रतिनिधित्व के साथ एक केन्द्रीय समन्वय समिति बनाई जानी चाहिए। पीठ विभिन्न एनजीओ और निजी याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए चार अक्तूबर की तारीख तय की।

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