नहीं पूरा हो सका मृत पति के स्पर्म से मां बनने का सपना

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नई दिल्ली । मां बनना, हर महिला का सपना होता है.अपना वंश आगे बढ़ने की चाहत सभी में होती है। शायद इसी कारण से दिल्ली की एक महिला ने अपने पति की मौत के बाद आइवीएफ़ तकनीक से मां बनने की ऐसी इच्छा जाहिर की, जिसे सुनकर देश सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टर्स भी हैरत में पड़ गए।लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी डॉक्टर्स उस महिला की कोई मदद नहीं कर पाए। माहिला चाहती थी कि पोस्टमार्टम के दौरान उसके पति का स्पर्म सुरक्षित रख लियाजाए, ताकि भविष्य में वो अपने पति के औलाद की मां बन सके। लेकिन तमाम चिकित्सकीय निर्देशों, और नियम कानूनों की किताबों के पन्ने पलटने के बाद डॉक्टरों ने मृतक का स्पर्म संरक्षित करने से इनकार कर दिया। इस वजह से पति के मरणोपरांत मां बनने का महिला का सपना अधूरा रह गया। हालांकि, इस घटना के बाद एम्स के डॉक्टरों ने इस पर दिशा-निर्देश बनाने की जोरदार वकालत की है।
एम्स के फॉरेंसिक विभाग के डॉक्टरों ने इस केस स्टडी को एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया है। इसके मुताबिक हाल ही में पुलिस एक व्यक्ति के शव को पोस्टमार्टम के लिए लेकर आई थी। उस दौरान मृत व्यक्ति की पत्नी ने डॉक्टरों से आग्रह किया कि पोस्टमार्टम के दौरान उसके पति का स्पर्म संरक्षित कर लिया जाए, क्योंकि उसे कोई संतान नहीं है और वह मां बनना चाहती है। उसके परिजनों ने भी उसका समर्थन किया। इस पर डॉक्टरों ने कई अन्य डॉक्टरों से बात की। इलाज के लिए मौजूद दिशा-निर्देशों पर चर्चा के बाद उन्होंने स्पर्म संरक्षित करने से इन्कार कर दिया। अपनी रिपोर्ट में डॉक्टरों ने कहा कि यदि इस पर दिशा-निर्देश बने तो मृत व्यक्ति के स्पर्म से किसी के सूने आंगन में किलकारी गूंज सकती है।
अन्य देशों में क्या है कानूनी प्रावधान:
दरअसल, विकसित देशों में इसका प्रावधान है, लेकिन भारतीय समाज में यह इतना आसान नहीं है। कुछ कानूनी व सामाजिक अड़चनें हैं, जो महिलाओं को पति की मौत के बाद मां बनने की इजाजत नहीं देतीं।चेक गणराज्य में इसका प्रावधान है। हालांकि, कई देशों में इसकी मनाही भी है। जापान में प्रावधान है कि मौत से पहले यदि पति ने स्पर्म संरक्षण की स्वीकृति दी हो तो ऐसा किया जा सकता है। यूके (यूनाइटेड किंग्डम) में भी मानव प्रजनन व भ्रूणविज्ञान अधिनियम 2003 के अनुसार मरणोपरांत स्पर्म संरक्षण का प्रावधान है, बशर्ते उक्त व्यक्ति ने पहले लिखित में ऐसी स्वीकृति दे रखी हो। इसके अलावा और भी कई शर्ते रखी गई हैं। इस नियम के अनुसार यदि व्यक्ति के मरणोपरांत संरक्षित किए गए स्पर्म से विकसित भ्रूण से बच्चे का जन्म होता है तो वह व्यक्ति बच्चे का पिता माना जाता है। इसको लेकर अमेरिका में अमेरिकन सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की आचार समिति ने अपना दिशा-निर्देश बनाया है।
क्य कहता है भारत का कानून :
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा तैयार सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) नियम-2010 के मसौदे के अनुसार भारत में यह दिशा-निर्देश तो है कि यदि मौत से पहले स्पर्म संरक्षित किया गया हो तो उसके इस्तेमाल से गर्भधारण किया जा सकता है, लेकिन मरणोपरांत स्पर्म संरक्षण का स्पष्ट प्रावधान नहीं है। यदि कानूनी पहलुओं पर गौर करें तो भारतीय सुबूत अधिनियम के अनुसार शादी टूटने के 280 दिन बाद यदि बच्चे का जन्म होता है तो उसे अवैध माना जाता है। आइसीएमआर के दिशा-निर्देश के अनुसार डोनर के स्पर्म को गर्भाधान से पहले छह महीने तक निम्न तापमान पर संरक्षित किया जाना चाहिए। इस तरह दिन के आधार पर गिनती करें तो एआरटी तकनीक से बच्चे का जन्म अवैध हो जाएगा। इस तरह कानूनी, नैतिक व सामाजिक पहलुओं को आधार बनाकर और उस पर विचार करते हुए डॉक्टरों ने दिशा-निर्देश तैयार करने की वकालत की है। बहरहाल इस घटना ने इस बात पर बड़ी बहस खड़ी कर दी है कि अगर मृत व्यक्ति के परिजन या पत्नी स्पर्म संरक्षित करने की इजाजत दें तो क्या ऐसा किया जा सकता है? एम्स के डॉक्टर इस पर दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इस दिशा में अगर कोई नियम बन जाए तो हैरानी नहीं होगी।

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