बाबरी केस:CBI ने की सिफारिश, सभी आरोपियों का हो ट्रायल, कोबरापोस्ट ने किया था स्टिंग ऑपरेशन, देखें VIDEO

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बाबरी मस्जिद
फाइल फोटो

अयोध्या में 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के एक केस में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हो गई है। इसमें कोर्ट यह तय करेगा कि लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का केस चले या नहीं। सीबीआई ने आज कहा कि इस मामले में बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलना चाहिए।

CBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के साजिश की धारा को हटाने के फैसले को रद्द किया जाए।
इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज टेक्नीकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और उनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए। साथ ही पूछा था कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले दो अलग अलग अदालतों में चलने के बजाय मामले की सुनवाई एक जगह क्यों न हो? कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाये। जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है।

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वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है। कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए।

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दरअसल 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी, जोशी और उमा समेत सभी आरोपियों के खिलाफ साजिश के आरोपों को रद्द करने की अपील को एग्जामिन करने का फैसला किया था। बता दें कि ये सभी नेता 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो एफआईआर से जुड़े मामलों की एक साथ सुनवाई करने के ऑप्शन पर भी विचार करने को कहा था। हालांकि, इसका आरोपियों के वकील ने विरोध किया था। वकील ने कहा था, “दोनों मामलों में अलग-अलग लोगों के नाम आरोपियों के तौर पर दर्ज हैं। दो अलग-अलग जगहों पर ट्रायल एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है।”
आपको बता दें कि बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह, आडवाणी, जोशी, उमा समेत बीजेपी-वीएचपी के 13 लीडर्स पर आपराधिक साजिश रचने (120बी) का केस दर्ज किया गया था। बाद में रायबरेली की लोअर कोर्ट ने सभी पर ये आरोप हटाने का ऑर्डर दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसी की सुनवाई चल रही है। पिटीशन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऑर्डर को खारिज करने की मांग की गई है। दूसरा केस अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है, जिसकी सुनवाई लखनऊ के एक कोर्ट में चल रही है।

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अगले पेज पर वीडियो में देखिए कोबरापोस्ट की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन