ज़्यादातर इलाकों में शांति रहने की वजह से 51 दिनों के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को पूरी घाटी से कर्फ्यू हटाने की घोषणा की है। हालांकि रविवार को भी कश्मीर में हिंसा की छुटपुट घटनाएँ सामने आयी हैं। फिलहाल श्रीनगर और पुलवामा के कुछ इलाकों में लोगों के जमा होने पर अभी भी पाबंदी जारी रहेगी। यह फैसला रविवार देर रात किया गया।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि स्थिति में सुधार आने के मद्देनजर पुलवामा के मुख्य शहरी क्षेत्र तथा श्रीनगर के एम आर गंज एवं नौहट्टा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाकों को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों से कल से प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। गौरतलब है कि अनंतनाग जिले में हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर बुरहान वानी और दो आतंकवादियों के मारे जाने के अगले दिन से घाटी में प्रदर्शन शुरू हो गए थे जिसके चलते प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों की झड़पों में 70 लोगों की मौत हो गयी थी और 6 हज़ार के घायल हो गए जिसमें ज़्यादातर सुरक्षाकर्मी थे। 51 दिनों तक जारी इस कर्फ्यू से घाटी का जनजीवन बुरी तरह अस्तव्यस्त हो गया था।
अनंतनाग के संगम व आशाजीपोरा तथा शोपियां के नाडीगाम को छोड़कर घाटी के बाकी सभी इलाकों में शांति का माहौल है। जिसके चलते यह मत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेस और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने प्रदर्शन में लोगों के मारे जाने के विरोध में सितम्बर तक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है। जिसमें उन्होने 28, 30 और 31 अगस्त को शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक तथा 29 अगस्त और एक सितंबर को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक हड़ताल में ढील देने की बात कही। लेकिन लोगों का आरोप है कि कर्फ्यू के कारण वह रात में भी कारोबार या दूसरे ज़रूरी काम नहीं कर पा रहे हैं।
हाल ही में नरेंद्र मोदी और महबूबा मुफ़्ती कि मुलाक़ात के बाद नई दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली के साथ कश्मीर की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक की। जिसको काफी मत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुलाक़ात में मुफ़्ती ने कहा था,’प्रत्येक पार्टी कश्मीर में खून-खराबा बंद करना चाहती है लेकिन बातचीत केवल उन लोगों के साथ की जानी चाहिए जो इसके लिए तैयार हों। जो लोग युवाओं को हिंसा के लिए उकसाते हैं, उनके साथ वार्ता नहीं की जा सकती।’