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मगर उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक पहली बार ही हुई। इस दफ़ा हरी झंडी सीधे पीएम के स्तर से थी और वे खुद इस पर पूरी नज़र रख रहे थे। आपरेशन के पूरी तरह सफल न होने पर सरकार किसी भी स्थिति के लिए तैयार थी। कमांडो के फँसने की स्थिति में वायुसेना के विमान सीमा पार कर उनकी मदद के लिए बिल्कुल मुस्तैद थे।
तोपख़ाना और पूरी सेना हर तरह के युद्ध के लिए पूरी तैयारी के साथ थी। इतना ही नहीं सीधे युद्ध के लिए भी भारत पूरी तरह तैयार था। ज़ाहिर है तैयारी, हमले का क्षेत्र जितना बडा था और राजनीतिक मंज़ूरी के इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेने की वजह से यह आपरेशन बिल्कुल अलग था। एक साथ इतने ठिकानों पर बिना सरकारी मंज़ूरी और तैयारी के सेना आपरेशन भी नहीं कर सकती थी।
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