उरी में हुए आंतकवादी हमले के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि उरी हमले के पीछे मसूद अजहर के नेतृत्व वाले जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए, 1999 में भारतीय विमान अपहरण के बाद आतंकवादी मसूद अजहर को रिहा करने का कदम गलत था जिसको लेकर तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार पर निशाना साधा और दोषी ठहराया है कि पूर्ववर्ती एनडीए सरकार ने ऐसा करके राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया था।
उरी आंतकवादी हमले पर अपने कई ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की पुरजोर वकालत की और नियंत्रण रेखा के पास मौजूद सेना के शिविर की सुरक्षा में इसकी ‘नाकामी’ की भी पड़ताल करने पर जोर दिया। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि भारतीय विमान अपहरण मामले में हमने मसूद अजहर को रिहा करके समझौता किया। कभी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करें।
उन्होंने यह भी कहा कि हमले के पीछे मसूद अजहर की जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है। निस्संदेह इसमें पाकिस्तान प्रशासन की पूरी मिलिभगत है। उन्होंने कहा हमें नियंत्रण रेखा के पास मौजूद सेना के शिविर की सुरक्षा में इसकी नाकामी की भी पड़ताल करनी चाहिए। गौरतलब है कि 24 दिसंबर 1999 को नेपाल से दिल्ली जा रहे विमान आईसी 814 का अपहरण कर लिया गया था। विमान में 176 यात्री सवार थे। यात्रियों एवं चालक दल के सदस्यों की सुरक्षित रिहाई के एवज में वाजपेयी सरकार ने मसूद अजहर सहित तीन आतंकवादियों को रिहा किया था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उरी के शहीदों को श्रद्धांजलि। पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिए भारत सरकार को निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहिए।