उत्तरप्रदेश में कैसे विकास के नाम पर अधिकारी करोड़ों का गबन करते हैं इसका बड़ा खुलासा हुआ है। ये खुलासा ऐसे वक्त पर हुआ जब यूपी में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। अख़बार अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली और सहारनपुर के बीच 206 किमी फोरलेन हाईवे बनाने के ठेके वाली कंपनियों और बैंक अधिकारियों ने मिलकर 455 करोड़ रुपये का घोटाला किया। खबर के अनुसार फोरलेन हाईवे कागजों पर ही बन गया। यह हाइवे नेशनल हाइवे 57 पर बनना था।
इस मामले के बाद कंपनियों के निदेशकों और बैंक अधिकारियों सहित 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। अखबार के मुताबिक इस सड़क परियोजना की अनुमानित लागत 1735 करोड़ रुपये थी. इस परियोजना में अभी तक केवल 13 फीसदी ही काम हुआ है। बताया जाता है कि ठेका कंपनियों ने 14 बैंकों से कुल 604 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इनमें से इन्होंने केवल 148 करोड़ रुपये ही खर्च किए। उप्सा के परियोजना महाप्रबंधक के मुताबिक अब इस फोरलेन सड़क को पूरा करने की लागत दोगुनी हो जाएगी।
एक अगस्त 2011 को एसईडब्ल्यू-एलएसवाई हाइवेज लिमिटेड के साथ दिल्ली-सहारनपुर से यमुनोत्री मार्ग पर बने दो लेन मार्ग को चार लेन मार्ग करने का अनुबंध किया गया था। इसे तीस मार्च 2012 को शुरू होना था। इसके लिए हैदराबाद की इस कंपनी के डायरेक्टर सुकरवा अनिल कुमार, प्रमोटर डायरेक्टर अलोरी बाबा, पीएस मूर्ति, यरलागदा वेकंटेश्वराव से अनुबंध हुआ था।
अनुबंध के समय तय हुआ था कि बैंक के स्वतंत्र इंजीनियर और चार्टड एकाउन्टेंट निर्माण कार्य की जांच करके ही कर्ज स्वीकृत करेंगे। इसके बाद कंपनी ने एक अप्रैल 2012 को शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2013 में निर्माण कार्य रोक दिया गया। यह काम बमुश्किल 13.33 प्रतिशत ही पूरा हुआ था। इस पर राज्य मार्ग प्राधिकरण ने पड़ताल किया तो खुलासा हुआ कि बैंक अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलकर कागजों पर हाईवे का काम दिखाकर 455 करोड़ रुपये ढकार लिए।
ऐसे हुई गबन की जानकारी
आरोप है कि सामान्य लोन अनुबंध में प्रोजेक्ट कास्ट तथा फाइनेंसियल प्लान में कुल धनराशि 2770 करोड़ दिखाई गई थी। जबकि प्रोजेक्ट की लागत कुल 1735 करोड़ की थी। दोनों में करीब एक हजार करोड़ का अंतर देखकर अधिकारियों में हड़कंप मच गया, जिसके बाद इसकी जांच की गई और तब पूरा मामला उजागर हुआ।
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