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नई दिल्ली। चर्च से मिलने वाले तलाक को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। गुरुवार(19 जनवरी) को कोर्ट ने इस दलील को मानने से मना कर दिया कि मुसलमानों के तीन तलाक की तरह चर्च से मिलने वाले तलाक को भी वैध माना जाए।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को मान लिया, जिसमें 1996 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया था कि किसी भी धर्म के पर्सनल लॉ देश के वैधानिक कानूनों पर हावी नहीं हो सकते, यानी कैनन लॉ के तहत तलाक कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि क्रिस्चन कपल का कानूनी रूप से तलाक तभी मान्य होगा, जब वह भारतीय कानून के तहत लिया गया हो। पर्सनल लॉ संसद द्वारा बनाए गए कानून को ओवरराइड नहीं कर सकता। चर्च से मिलने वाला तलाक कानूनी तौर पर वैध नहीं है।
आगे पढ़ें, याचिकाकर्ता की दलील
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