नई दिल्ली : GST लागू होने में अब महज कुछ घंटे ही बाकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि आज आधी रात के बाद लागू होने वाले टैक्स सिस्टम के इस क्रांतिकारी बदलाव से आम लोगों पर टैक्स का बोझ कुछ कम होगा। GST के समर्थकों का कहना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था में अच्छी वृद्धि होगी। एक ओर जहां बड़े-बड़े लुभावने वादे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ वक्त के लिए सामान्य कामकाज बाधित होने से छोटे-बड़े बिजनसमेन से लेकर नीति निर्माता तक असमंजस में हैं।
केंद्र सरकार ने कुछ महीनों तक GST को और टाले जाने की मांग ठुकराते हुए 1 जुलाई को ही लागू करने का फैसला किया। संसद के केंद्रीय कक्ष में आधी रात को आयोजित होने जा रहे भव्य कार्यक्रम के बाद सरकार की चुनौती और बढ़ने वाली है। हालांकि, सरकार शुरुआती समस्याओं को टालने की कोशिश में जुटी है, लेकिन बड़ा देश और दायित्व होने की वजह से शुरुआती कठिनाइयों से बचना मुश्किल लग रहा है। GST के लिए नियम तैयार करने की प्रक्रिया आखिरी पलों तक चलती रही और सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक-वे बिल या बॉर्डर पास लागू करने से लेकर फाइलिंग रिक्वायरमेंट्स और सरकारी विभागों एवं ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से वेंडरों से टैक्स की रकम काटने तक के नियमों में ढील दी है।
GST नेटवर्क ने वह स्प्रेडशीट रिलीज नहीं की है, जिससे कंपनियां इनवॉइसेज के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक अकाउंट्स मैनेज करेंगी। इसे शुक्रवार तक रिलीज कर दिया जाएगा। दरअसल, कुछ नियम शुक्रवार को जीएसटी की लॉन्चिंग से ठीक पहले स्पष्ट होने हैं। 15 दिन पहले तक ढांचा तैयार करने के लिए माथापच्ची होती रही और नई व्यवस्था में कारोबारियों की रजिस्ट्री के नियम भी आसान कर दिए गए। अब सप्लायर्स जुलाई के आखिर तक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
सरकार को लगता है कि ज्यादातर कारोबारी रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं क्योंकि 80 लाख में से 60 लाख व्यापारियों, फर्मों और कंपनियों की जीएसटीएन पोर्टल पर रजिस्ट्री हो चुकी है। हालांकि, कारोबारी कुछ गड़बड़ियों और उलझनों की शिकायतें कर रहे हैं। कुछ बड़ी कंपनियां नई व्यवस्था में प्रवेश के लिए सॉफ्टवेयर एवं इनवॉइसिंग सिस्टम अपडेट करवाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अपना काम-काज रोक चुकी हैं।