मोसुल में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के काल्पनिक शासन का दौर अब खत्म हो गया है। यहां जारी सैन्य संघर्ष में इराकी सेना को एक अहम सफलता मिली है। 2014 में मोसुल की जिस अल-नूरी मस्जिद के अंदर ISIS के सरगना अबू बकर अल-बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित किया था, उस मस्जिद को इराकी सेना ने अपने नियंत्रण में ले लिया है। हालांकि पिछले हफ्ते ही ISIS ने इस मस्जिद को तहस-नहस कर दिया था और अब मस्जिद टूटी-फूटी हालत में हैं, लेकिन इसके बावजूद इस मस्जिद को अपने कब्जे में लेना इराकी फौज के लिए बड़ी सांकेतिक जीत है। इराकी सेना ने एक बयान जारी कहा कि इराक में ISIS का शासन अब खत्म हो गया है।
सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याहा रसूल ने गुरुवार को इराक के स्टेट टीवी से कहा, ‘उनकी काल्पनिक सत्ता अब खत्म हो चुकी है।’ पिछले हफ्ते जब आतंकवादियों के सामने यह साफ हो गया कि इराक और अमेरिकी गठबंधन सेना उनकी ओर बढ़ रही है और उन्हें रोकना मुमकिन नहीं हो पाएगा, तो उन्होंने मस्जिद में धमाका कर उसे नुकसान पहुंचाया। 12वीं सदी की अल-नूरी मस्जिद पर जून 2014 से ही ISIS का काला झंडा फहरा रहा था। 2014 में इराकी फौज को बाहर धकेलने के बाद ISIS ने न केवल मोसुल को अपनी राजधानी घोषित किया, बल्कि बगदादी ने अपने आप को मुसलमानों का नया खलीफा भी बताया। इसके बाद से ही ISIS का कद और उसकी ताकत लगातार बढ़ती रही। धीरे-धीरे इराक के एक तिहाई हिस्से पर ISIS का नियंत्रण स्थापित हो गया। ISIS का प्रभाव इराक से आगे बढ़कर सीरिया तक पहुंचा और रक्का भी उसका एक मजबूत गढ़ बन गया।
मस्जिद को अपने अधिकार में लेने के बारे में बताते हुए लेफ्टिनेंट जनरल अब्दुल वहाब अल-सादी ने न्यूज एजेंसी AP को बताया कि गुरुवार दोपहर सुरक्षाबल मस्जिद परिसर में घुसे और उन्होंने कुछ समय तक चले संघर्ष के बाद उन्होंने मस्जिद और उसके आसपास के इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया। अब इस जगह पर बम और बारूदी सुरंगों की तलाश की जा रही है। ISIS जब भी किसी जगह से पीछे हटता है, तो वहां बारूदी सुरंगे और बम लगा देता है। मोसुल के पुराने हिस्से में हालांकि अभी भी 300 के करीब आतंकवादी इराकी गठबंधन सेना से लड़ रहे हैं, लेकिन इराकी सरकार को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह आखिरी मोर्चा भी वह जीत लेंगे। ISIS के कब्जे में अब टिगरिस नदी के पश्चिमी हिस्से की तरफ का 1 किलोमीटर स्क्वेयर से भी कम का इलाका बचा है।
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