इस मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि से प्रक्षेपित किया जा सकता है। ब्रह्मोस भारत और रूस का एक संयुक्त उपक्रम है। ब्रह्मोस की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, हालांकि यह इससे भी लंबी दूरी तक जाने में सक्षम है। क्रिस्टोफर का कहना है कि सॉफ्टवेयर में बदलाव की जरूरत है, जिसके बाद मिसाइल की बढ़ाई गई 450 किलोमीटर मारक क्षमता का परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा,”हम वैकल्पिक रूप से इसका 10 मार्च के आसपास परीक्षण करेंगे।”
डीआरडीओ इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का दूसरा संस्करण भी विकसित कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर होगी।क्रिस्टोफर ने कहा है कि इस मिसाइल को अगले दो-ढाई वर्षो के दौरान विकसित किया जाएगा। यह पूछने पर कि क्या अग्नि पंचम मिसाइल की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी? क्रिस्टोफर ने इससे इनकार किया। उन्होंने बिना किसी देश का नाम लिए कहा,”हम ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि कोई इसका विरोध कर सकता है।” भारतीय सेना पहले ही अपने शस्त्रागार में ब्रह्मोस के तीन रेजीमेंट शामिल कर चुकी है। सभी रेजीमेंट इस मिसाइल के ब्लॉक-3 संस्करण से सुसज्जित हैं, जिनका पिछले साल मई में परीक्षण किया गया था।