राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपनी शुरुआत करने वाले नरेंद्र मोदी की जिंदगी के कई पहलुओं पर उनके करीबी रहे पूर्व सांसद प्रफुल्ल गोरदिया ने Fly Me To The Moon नाम की किताब लिखी है। किताब का एक अंश आपके सामने है:
”90 के दशक के अंत में गुजरात भाजपा के दो कद्दावर नेता केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला राज्य में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में लगे थे। तब पार्टी संगठन में रहे नरेंद्र मोदी का पटेल ने अच्छा इस्तेमाल किया और वाघेला का काबू में रखा। लेकिन बाद के संघर्ष में वाघेला ने अपना दांव-पेंचों से केशुभाई से पद छुड़वाया और खुद अपनी गुजरात जनता पार्टी बना ली। कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई और बाद में पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया। वाघेला के बीजेपी से बाहर होते ही नरेंद्र मोदी केशुभाई के फेवरिट नहीं रहे। पटेल सिर्फ मोदी को साइडलाइन करके संतुष्ट नहीं हुए, उन्होंने मोदी को भाजपा का संगठन महासचिव बनाकर दिल्ली भेज दिया। केशुभाई ने शर्त रखी कि अगर मोदी कभी गृह राज्य आएंगे तो किसी राजनेता या पत्रकार से नहीं मिलेंगे और सिर्फ निजी मामलों तक खुद को सीमित रखेंगे। मोदी को किनारे कर दिया गया था, मगर उन्होंने बेइज्जती सह ली।
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