नोटबंदी पर बोले गोविंदाचार्य- सरकार की नीयत सही हो सकती है लेकिन तरीका बिलकुल गलत

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नोटबंदी

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले से देशभर में खलबली मची हुई है। कुछ लोग सरकार के इस फैसला को कालाधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक मानते हैं तो कुछ प्लानिंग और टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। अस सब के बीच बीजेपी के पूर्व थिंकटैंक कहे जाने वाले केएन गोविंदाचार्य ने नोटबंदी के फैसले की कड़ी आलोचना की है। गोविंदाचार्य ने नोटबंदी के बाद उसकी वजह से मरने वाले लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है।

इतना ही नहीं नोटबंदी को लागू करने को लेकर सरकारी नीति पर भी गोविंदाचार्य ने कई गंभीर सवाल उठाये हैं। समाचार चैनल एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में गोविंदाचार्य ने कहा कि उन्होंने इसके बाबत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को बुधवार की शाम को पत्र याचिका भेजी है।

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इस याचिका में उन्होंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं संज्ञान लेकर देशभर के पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का आदेश दे। नोटबंदी की वजह से गरीब लोग अपने ही पैसे का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। 80 से ज्यादा लोगों की दुखद मौत हो चुकी है और तमाम लोग बेरोजगार हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन लाचार लोगों की समस्याओं का निवारण अवश्य होना चाहिए। इस से दिहाड़ी मज़दूरों का काम ख़त्म हो रहा है, किसान के पास रबी की बुवाई के लिए बीज नहीं है और छोटे-मोटे कारोबारी भी बंदी की कगार पर हैं।

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गोविंदाचार्य ने कहा कि शुरू में तो उन्हें मोदी सरकार का यह कदम बड़ा साहसिक लगा, सरकार ने आश्वासन दिया कि दो दिनों के भीतर बैंकों में हालात ठीक हो जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ने लगी। गोविंदाचार्य के मुताबिक इस समय देश का हाल बहुत बुरा है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि नोटबंदी के बाद देश के हालात इतने खराब हो जाएंगे।

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संघ के पूर्व प्रचारक गोविंदाचार्य ने कहा कि इस मामले में मोदी सरकार का लक्ष्य ही साफ़ नहीं है। यह पता नहीं चल पा रहा है कि सरकार क्या चाहती है? अगर जाली नोट बंद करना चाहती है तो उसके लिए इतना बड़ा कदम उठाने कि क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 14 लाख करोड़ के बड़े नोटों में जाली नोट सिर्फ 400 करोड़ हैं और उसके लिए सरकार ने पूरी करेंसी को रद्द करके जनता को लाइन में खड़ा कर दिया।