हालांकि पत्रकार शेखर गुप्ता सहवाग और हुड्डा के रुख से नाखुश नजर आए। उन्होंने दोनों के बर्ताव का दुखद बताया। इसके बाद हुड्डा और शेखर गुप्ता के बीच बहस भी हो गई। सहवाग ने एक तस्वीर ट्वीट की थी। इसमें वे हाथ में एक तख्ती पकड़े होते हैं और लिखा होता है, “मैंने नहीं मेरे बल्ले ने दो तिहरे शतक मारे थे।” उनका यह बयान गुरमेहर कौर के कैंपेन पर परोक्ष हमला था। गुरमेहर ने रामजस कॉलेज में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की कथित हिंसा के बाद एक कैंपेन चलाया था। इसके तहत उन्होंने फेसबुक पर फोटो लगाई थी जिसमें लिखा होता है, “मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ती हूं। मैं एबीवीपी से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर छात्र मेरे साथ है। हैशटैग स्टूडेंट्स अगेंस्ट एबीवीपी।” उनकी पोस्ट के बाद ट्रेंड चल पड़ा था।
रणदीप हुड्डा ने वीरेंद्र सहवाग के ट्वीट का समर्थन किया और इसे थंब्स अप दिया। पत्रकार शेखर गुप्ता ने एतराज जताते हुए लिखा, “दुखद, वीरू और रणदीप बड़े दिल के सितारे हैं। किसी की देशभक्ति को सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है और उसकी पर(देशभक्ति) उसके पिता के महान बलिदान की छाप है।” इस पर रणदीप हुड्डा ने जवाब दिया, “दुखद बात यह है कि बेचारी लड़की को राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया गया और लगता है आप भी इसमें पार्टी हैं…।” शेखर गुप्ता ने हुड्डा के इस आरोप पर तुरंत पलटवार किया। उन्होंने लिखा, “आप जो चाहे मुझे कह सकते हैं इसके लिए आपका स्वागत है। वह बेचारी लड़की नहीं है या मोहरा नहीं है। वह मजबूत, अपने दिमाग की सुनने और पितृसत्ता का सामना करने वाली युवा है।”