इसके बाद गुरमेहर ने खुद रणदीप हुड्डा को जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि वह मोहरा नहीं है। गुरमेहर ने लिखा, “राजनीति मोहरा? मैं सोच सकती हूं। मैं छात्रों पर हुई हिंसा का समर्थन नहीं कर सकती। क्या यह इतना गलत है?” हुड्डा का जवाब आया, “मैं तुमसे सहमत हूं यह पूरी तरह गलत है। ऐसा लगता है कि यह केवल व्याख्या तक सीमित नहीं है।” शेखर गुप्ता ने एक बार फिर से गुरमेहर का पक्ष लिया और कहा, “यह पूरी तरह से विपरीत चला गया। देशभक्ति की कई परिभाषाएं और परतें हो सकती हैं। बड़ी बहस और असहमति की जरुरत है ना कि मजाक उड़ाने की।”
रणदीप हुड्डा ने मामले को शांत करते हुए कहा कि वे केवल वीरेंद्र सहवाग की हाजिरजवाबी की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने लिखा, “वीरू का ‘बात में दम है’ कहना काफी हाजिरजवाबी वाला जवाब था। क्या आप इसमें व्यंग्य नहीं देख सकते। मामले को खत्म करें ना कि बढ़ाएं।” लेकिन शेखर गुप्ता इस तर्क से राजी नहीं हुए। जवाब में उन्होंने ट्वीट किया, “मैं विनम्रता से मानता हूं कि मैं वीरू की हाजिर जवाबी को मानता हूं लेकिन अगर यह किसी गंभीर मसले का महत्व कम करे तो सवाल उठना चाहिए। नहीं, मुझे यहां कोई व्यंग्य नहीं दिखा।”
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