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भारत में हुए जनसंहार सिलेबस में नहीं
भारत में हुए जनसंहारों को इस सिलेबस में शामिल नहीं किया गया है। नवरस जाट आफरीदी कहते हैं कि ‘भारत में हुई सामूहिक हिंसा की घटनाओं पर चर्चा, भेदभाव और मनमुटावों को जन्म दे सकती थी। जैसे गुजरात के मुस्लिम विरोधी हिंसा पर बात होने पर, कुछ छात्र कश्मीर की हिंदू विरोधी हिंसा पर बात नहीं किए जाने की शिकायत ले खड़े हो सकते हैं। मैंने जानबूझकर भारत से संबंधित किसी भी सामूहिक हिंसा को सिलेबस में शामिल नहीं किया, क्योंकि ऐसा करने से छात्रों का निष्पक्ष बने रहना मुश्किल होता।‘ इस सिलेबस के पहले तक जनसंहार स्टडी पर आधारित कोई भी सिलेबस भारत में नहीं पढ़ाया जाता था।
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