Use your ← → (arrow) keys to browse
सूत्र के अनुसार- ‘डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है तो इस मुद्दे को नहीं छोड़ा जा सकता है।’ सरकार ने ही एक संशोधन लाकर तय किया था कि जहां चेक क्लीरिंग के लिए दिया गया है, वहीं केस दर्ज होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बाबत सुझाव दिया था। चेक बाउंस की घटनाओं में तब थोड़ी कमी आई थी, जब पहली बार जेल का प्रावधान किया गया था। लेकिन वह भी तब होता है जब कोर्ट में ट्रायल पूरा हो जाए। फिलहाल चेक मूल्य के दोगुना जुर्माने या दो साल तक की सजा या फिर दोनो का प्रावधान है। लेकिन यह अदालत से निर्णय के बाद अमल में आता है। नए संशोधन में यह गौरतलब होगा कि सजा ट्रायल के पहले कैसे दी जा सकेगी।
Use your ← → (arrow) keys to browse