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पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी 1960 के बाद से ही भ्रष्टाचार को झेल रहा है। तब से ही कालेधन का कारोबार शुरू हुआ। देश के सभी लोगों को सही काम करवाने के लिए भी गलत तरीके से पैसे देने पड़ते हैं। पानी का कनैक्शन लेने की बात हो, चाहे बिजली के कनैक्शन की या फिर किसी भी और सरकारी काम के लिए रिश्वत देनी ही पड़ती है। इस सबको कम करने के लिए सरकारी या नौकरशाह कर्मचारी की पॉवर को कम करना चाहिए। अगर पीएम मोदी ने नौकरशाहों की ताकत को कम नहीं किया तो कुछ भी ठीक होना मुश्किल है।
ये विचार सुरजीत एस भल्ला के हैं। वह न्यूयॉर्क स्थित मैक्रो इकोनॉमी सलाहकार समूह में सीनियर विश्लेषक भी हैं। यह विचार उनके निजी हैं।
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