ये किसकी उड़ान है? क्या इस देश में गरीब कर पाएंगे हवाई यात्रा?

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एक घंटे की उड़ान की लागत शहरी इलाकों में 2,2692.65 रुपये के औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय के लगभग बराबर है। जाहिर है शहरी इलाकों में ही अधिकांश हवाई अड्डे स्थित होंगे। सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय से 2011-2012 के आंकड़ों से भी यही बात पता चलती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि समान उड़ानों पर गैर सब्सिडी वाले टिकटों का किराया 19 हजार रूपए तक जा सकता है।

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अगर तुलनात्मक रुप से देखें तो हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा संचालित एक वातानुकूलित (एसी) बस में 415 रुपए का खर्च आता है और दिल्ली से शिमला तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं। शिमला के लिए दिल्ली से कोई सीधी ट्रेन नहीं है- दिल्ली से कालका तक की ट्रेन में नियमित बर्थ पर 235 रुपए का खर्च आता है।एसी सीट पर 590 रुपए खर्च होते हैं और ट्रेन में करीब पांच घंटे लगते हैं। कालका में ट्रेन बदलनी पड़ती है ।कालका से शिमला तक की लागत करीब 300 रुपए है और इसमें भी अच्छा खासा वक्त लगता है।

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वैश्विक परामर्श केपीएमजी में एरोस्पेस और रक्षा मामले के भारत प्रमुख एम्बर दुबे इंडियास्पेंड से बात करते हुए कहते हैं “ उड़ान योजना के सबसे बड़े लाभार्थी भारत के अंदरूनी हिस्सों में रहने वाले व्यवसायी और पेशेवर होंगे, जो सड़क और रेल द्वारा बड़े शहरों तक पहुंचने में अधिक समय गवांते हैं। ”

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दुबे कहते हैं- “लाखों ऐसे भारतीय हैं जो 500 किमी की उड़ान के लिए 2,500 रुपए का भुगतान कर सकते हैं। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। ऐसे कई पर्यटक, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्घ वाले ऐसे लोकेशन को पसंद नहीं करते, जहां सुविधाजनक उड़ान कनेक्शन नहीं हैं। ”

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