चीनी सैनिकों ने एलएसी पर मोर्चा संभाल लिया और काम रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोई निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक-दूसरे की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है। वहीं, भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच समझौते के अनुसार निर्माण कार्य के बारे में सूचना केवल तभी साझा करनी होती है जब कार्य रक्षा उद्देश्यों से संबंधित हो।
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने बैनर लगा दिए हैं और वे वहां डटे हुए हैं। सेना तथा आईटीबीपी के जवान चीनी सैनिकों को ‘एक इंच आगे’ नहीं बढ़ने दे रहे हैं। पीएलए दावा कर रही है कि यह क्षेत्र चीन का है। इस क्षेत्र में 2014 में भी ऐसी ही घटना हुयी थी जब मनरेगा योजना के तहत निलुंग नाला पर सिंचाई नहर बनाने का फैसला किया गया था। वह चीन के साथ विवाद का कारण रहा है।
पीएलए ने भारतीय कार्रवाई के विरोध में चार्डिंग-निलुंग नाला (सीएनएन) ट्रैक जंक्शन में तंबू गाड़ने के लिये ताशिगोंग के ग्रामीणों को भेज दिया था। इस बीच, दिल्ली में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने जोर दिया कि यह मामला कोई गतिरोध नहीं है और स्थापित प्रक्रिया के जरिए मुद्दे का हल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष से ऐसी आपत्तियां असामान्य नहीं हैं और इस तरह की स्थिति को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाता है।