अटारी (अमृतसर) : चार दिन पूर्व पाक स्थित श्री कटासराज के दर्शन के लिए गए हिंदू तीर्थ यात्रियों के जत्थे को वहां की सरकार ने निर्धारित तिथि से दो दिन पहले ही भारत भेज दिया। इन श्रद्धालुओं के पास 28 फरवरी तक का वीजा था, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए पाकिस्तान सरकार ने इन्हें जबरन विदा कर दिया। रविवार को अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचे श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान सरकार व पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की। श्रद्धालुओं ने कहा कि वह कई ऐतिहासिक स्थलों में जाना चाहते थे पर पुलिस की सख्ती के कारण उन्हें गुरुद्वारे के अंदर ही रहना पड़ा।
जत्थे में शामिल रामगोपाल ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदू तीर्थ यात्रियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जत्थे के सदस्यों को गुरुद्वारा डेरा साहिब में ठहरा दिया गया और सुरक्षा कारणों के चलते बाहर नहीं निकलने दिया गया। पुलिस का पहरा हर पल उनके इर्द-गिर्द ही मंडराता रहा। सतीश कुमार ने बताया कि श्रद्धालु लाहौर का श्रीकृष्ण मंदिर देखना चाहते थे। यह चाह भी पूरी न हो सकी। इतनी मुद्दतों बाद पाकिस्तान जाने का मौका मिला था, लेकिन पाकिस्तान पुलिस ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। उन्हें कहा गया कि उन्हें रातोंरात ही यहां से निकलना होगा। इसके बाद श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया। किसी अनहोनी की आशंका के चलते वे सिहर उठे। पुलिस ने उन्हें विभिन्न वाहनों में बिठाकर लाहौर से निकाला और सरहद के पास पहुंचा दिया। सभी श्रद्धालुओं को अभी श्री दुग्र्याणा तीर्थ स्थित धर्मशाला में रखा गया है। सोमवार की सुबह सभी अपने-अपने घरों की ओर रवाना हो जाएंगे।
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पाकिस्तान में हो रहे आत्मघाती हमलों से अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं की हालत बहुत खराब हो गई है। अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मनसेहरा जिले के डरे, सहमे हिंदुओं ने तीन दिन तक चलने वाले महाशिवरात्रि समारोह की अवधि को घटाकर दो दिन कर दिया। आयोजकों ने शुक्रवार से रविवार शाम तक चलने वाला शिवरात्रि समारोह शनिवार को ही संपन्न कर लिया। मनसेहरा में करीब 1500 साल पुराने शिवमंदिर की देखरेख करने वाले दर्शन लाल ने अखबार को बताया, ‘हम इस उत्सव को हर साल तीन दिनों तक मनाते हैं। लेकिन, इस बार सुरक्षा कारणों से आयोजन दो दिन में ही संपन्न कर लिया।’ पाकिस्तानी हिंदुओं मनसेहरा के चीटी गति गंडियन स्थित प्राचीन मंदिर में हर साल शिवरात्रि मनाने के लिए जुटते हैं। इस बार उत्सव शुक्रवार को शुरू होकर शनिवार तक ही मनाया गया। भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए एबटाबाद, कोहाट, बानू, मरदाना, पेशावर और रावलपिंडी से 700 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे।