रसोई गैस के बाद अब रेलवे भी टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने जा रहा है। रेलवे ने यह कदम अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से उठाया है। इसकी शुरुआत टिकट पर सब्सिडी छोड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए ‘गिव अप’ स्कीम से हो रही है।
इसके लिए फॉर्म में अलग से कॉलम होगा जिसमें पूछा जायेगा कि आप सब्सिडी लेना चाहते हैं या नहीं। जो लोग इस पर सब्सिडी लेने पर टिक लगाएंगे उनको सब्सिडाइज्ड रेट पर रेल टिकट मिलेगा और जो लोग सब्सिडी नहीं लेना चाहेंगे उनको फुल रेट पर टिकट मिलेगा। इस तरीके की व्यवस्था रेल टिकट की ऑनलाइन बुकिंग के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर भी दी जाएगी। रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सब्सिडी लेने या ना लेने के विकल्प की व्यवस्था अगले महीने से शुरू कर दी जाएगी।
रेलवे ने लगातार आर्थिक दबाव में है। दरअसल रेलवे पैसेंजर को तकरीबन 43 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। जिसका मतलब रेलवे को सौ रुपए के खर्च पर 57 रुपए की कमाई होती है। जिससे छुटकारा पाने के लिए सरकार यह कदम उठाने के फैसला किया है। रेलवे को यह आइडिया एक पैसेंजर से ही मिला है।
हुआ यूं कि फरीदाबाद के अवतार कृष्ण खेर ने आईआरसीटीसी की वेबसाइट के जरिए अपना रेल टिकट बुक कराया था, जब उन्होंने रेल टिकट का प्रिंट लिया तो उसमें नीचे लिखा हुआ था कि क्या आप जानते हैं कि आपके किराए का 43 फीसदी देश के आम नागरिक वहन करते हैं। इसके बाद अवतार कृष्ण ने अपनी रेल टिकट में मिली सब्सिडी के बदले में 950 रुपये का चेक बनवा कर रेलवे को भेज दिया। इस घटना के बाद रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को यह आइडिया आया कि क्यों ना आम लोगों के लिए टिकट बुकिंग के दौरान सब्सिडी छोड़ने का विकल्प भी दिया जाए।
रेलवे बोर्ड के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक फिलहाल तो अवतार कृष्ण के चेक को रेलवे अभी भुना नहीं रहा है क्योंकि अभी इस तरह का कोई सिस्टम ही नहीं है। लेकिन अगले महीने से मंत्रालय रेल टिकट में सब्सिडी ना लेने का विकल्प भी देने जा रहा है. रेलवे को उम्मीद है कि देश में ऐसे तमाम लोग होंगे जो अपनी रेल यात्रा का पूरा किराया देने में सक्षम हैं और वह रेल किराए की सब्सिडी नहीं लेना चाहेंगे। ऐसे लोगों को रेलवे एक विकल्प देना चाह रही है जिससे जहां एक तरफ सक्षम लोग बिना किसी सब्सिडी के यात्रा कर सकेंगे तो वहीं जो लोग सब्सिडी रेट पर रेल यात्रा करना चाहेंगे उनके लिए परेशानी भी नहीं होगी।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है इस सब्सिडी छोड़ने के विकल्प के लिए पूरा सिस्टम तैयार किया जा रहा है और ऐसी संभावना है की अगस्त के महीने तक यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। इसके बाद देखना यह होगा कि कितने यात्री पूरे किराए पर सफर करना पसंद करेंगे।