मुंबई के रहने वाले एचआर कोसिया ने 2013 में आरटीआई फाइल की थी जिसमें कहा गया था कि एनटीसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पीसी वैश ने एनटीसी की पौद्दार मिल को बिना टैक्सटाइल मिनिस्ट्री और एनटीसी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को बताए मुंबई के ओम वास्तु शांती नामक बिल्डर को 75 लाख में बेचा है। बता दें, उस वक्त उस मिल की कीमत करोड़ों की थी।
उस वक्त कोसिया एनटीसी में डिप्टी मैनेजर थे और भष्टाचार को उजागर करने के लिए उन्हे कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था। यहां तक की उन्हें जुलाई 2016 में निकाल भी दिया था। कोसिया की शिकायत ये भी थी कि टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ने उनके खिलाफ न एफआईआर दर्ज की थी और न ही पंचनामा किया गया था।
कोसिया की ये आरटीआई फाइल सीवीसी में थी, कई बार पूछने पर, सीवीसी डायरेक्टर और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ज्योति त्रिवेदी ने 22 दिसंबर 2016 को जवाब दिया कि, आयोग की शिकायत पोर्टल के कार्य में तकनीकी समस्या होने के कारण, शिकायत पर की गई कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस मामले में अपीलीय प्राधिकारी सीवीसी के अतिरिक्त सचिव प्रवीण सिन्हा थे।
कोसिया ने प्रवीण सिन्हा को याचिका दायर करते हुए कहा कि ज्योति त्रिवेदी की प्रतिक्रिया आरटीआई अधिनियम 2005 के अनुसार मान्य नहीं थी। जिसके बाद सिन्हा ने कोसिया को 24 जनवरी को जवाब देते हुए माना था कि एक्शन की कॉपी सीवीसी के पास होनी चाहिए थी। सिन्हा ने यह भी लिखा कि वो केंद्रीय सूचना आयोग में अपील कर सकते हैं। जिसके बाद उन्होंने अपील की। जिसके बाद ज्योति त्रिवेदी ने कोसिया को 9 फरवरी को लेटर में लिखा कि कमीशन का टीसीएस सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा, जिसके चलते कोई भी एक्शन नहीं लिया जा सकता।
जिसके बाद कोसिया ने दूसरी बार केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की। उनको ये भी आशंका थी कि इस पूरे प्रकरण के पीछे कुछ बड़ा षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि पोर्टल का 28 नवंबर को क्रैश होना, सीवीसी का टीसीएस से दिसंबर में ही कॉन्ट्रैक्ट खत्म होना, डाटा का बैकअप न होना, ये कोई संयोग नहीं हो सकता। पीएम मोदी को तुरंत जांच के ऑर्डर देने चाहिए।
कोसिया के केस की तरह कई ऐसे हजारों केस हैं जिन पर अब कोई एक्शन नहीं लिया जा सकेगा क्योंकि अब फाइल ही क्रैश हो गई तो क्या किया जा सकता है। लेकिन एक बाद तो है भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान के लिए गंभीर झटका लगा है।