अगर बेटा हुआ नहीं तो पति को है दूसरी शादी का अधिकार – भारत का अजब कानून

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भारत

भारत परंपरागत तौर पर एक पुरुष प्रधान समाज है और ये बात क़ानून के बनाने और उसे लागू करने के दौरान भी ज़ाहिर होती है। आइये आपको बताते कुछ ऐसे ही कानूनों के बारे में-
संपत्ति का अधिकार
प्रॉपर्टी पर अधिकार की बात करें तो हिंदुओं के उत्तराधिकार संबंधी, 1956 के क़ानून में अहम संशोधन के बाद बेटियों को संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिया गया है। अब बेटियों का भी माँ-बाप की संपत्ति पर बेटों जैसे ही समान अधिकार है।

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गोवा सिविल कोड
गोवा सिविल कोड अपने आप में कोई यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं है। ये पुर्तगाली सिविल कोड, 1867 पर आधारित है और पूरे देश में मान्य नहीं है। इस कोड के मुताबिक विशेष परिस्थितियों में हिंदू पुरुषों को दो शादियां करने की इजाज़त है। अगर पत्नी 25 साल की उम्र तक बच्चा पैदा नहीं कर पाए तो पुरुष दूसरी शादी कर सकता है। इतना ही नहीं, गोवा सिविल कोड के मुताबिक अगर पत्नी 30 साल तक बेटे की मां नहीं बन पाए, तो पति को दूसरी शादी करने की इजाज़त मिल सकती है।
मैरिटल रेप
अगर पुरुष पत्नी का ‘बलात्कार’ करे और क़ानून महिला का साथ न दे, तो क़ानून में ज़रूर कुछ दिक्कत है।अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी (15 साल से ज़्यादा उम्र की हो) का बलात्कार करे, तो उसे बलात्कार भी नहीं माना जाता है। 1972 से ही कानून आयोग इस मामले में लगातार सिफ़ारिशें करता रहा है। लेकिन अब तक भारत में पति द्वारा बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है। ज़ाहिर है, ऐसे मामलों में महिलाओं के लिए उचित क़ानून नहीं है।
(खबर इनपुट बीबीसी हिंदी. पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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