नई दिल्ली : भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में कराए गए धमाके की जांच का सिरा कानपुर में सक्रिय ‘सत्य संदेश फाउंडेशन’ नाम के एक गैर-सरकारी संगठन से जुड़ता हुआ दिख रहा है। यह NGO इस्लाम से जुड़ी धार्मिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार से जुड़े होने का दावा करती है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) इस मामले की जांच के क्रम में इस NGO के अलावा कथित तौर पर IS के लिए काम कर रहे एहसान तक भी पहुंची है। एहसान शिया समुदाय से ताल्लुक रखता है और अगर उसपर लगा आरोप सही साबित होता है, तो शायद वह पहला ऐसा शिया होगा जो IS जैसे कट्टरपंथी सुन्नी विचारधारा वाले आतंकवादी संगठन से जुड़ा है।
NIA अब इस जांच के सिलसिले में कानपुर रेल हादसे के तारों को भी खंगाल रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि 20 नवंबर 2016 को कानपुर में हुए रेल हादसे की जगह पर सत्य संदेश फाउंडेशन (SSF) के लोग किस तरह इतनी जल्दी पहुंच पाए। 7 मार्च को हुए ट्रेन धमाके की जांच कर रही NIA को जुलाई 2016 में एहसान के एक बैठक में शामिल होने की जानकारी मिली है। यह बैठक जिस जगह पर हुई, वह प्लॉट कानपुर-लखनऊ मॉड्यूल के आमिर आतिफ मुजफ्फर का है। आमिर के पिता SSF से जुड़े हुए हैं। एहसान का इस तरह IS के साथ जुड़ना और उसके लिए काम करना हैरानी का विषय है। पश्चिमी एशिया में शिया समुदाय IS के कट्टर विरोधियों में माना जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि IS शियाओं को गैर-इस्लामिक मानता है। यही कारण है कि IS के अत्याचारों का शिकार होने वालों में शियाओं की संख्या बहुत ज्यादा है।
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