सचिन तेंदुलकर और रेखा दोनों ही राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं, लेकिन सदन में दोनों की ही मौजूदगी बहुत कम रहती है। ऐसे में इस मुद्दे को कल राज्यसभा में उठाया गया। एसपी सांसद नरेश अग्रवाल ने यह मामला उठाते हुए कहा कि अगर सचिन और रेखा की रुचि इसमें नहीं है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
अग्रवाल ने कहा कि मनोनीत सदस्यों में क्रिकेट और फिल्म सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग होते है, लेकिन यह सदस्य सदन में नहीं आ रहे हैं। आगे अग्रवाल ने कहा कि अगर इन सदस्यों की इसमें रूचि नहीं है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
इस मसले पर उपसभापति पी. जे. कुरियन ने कहा कि यह व्यवस्था का प्रश्न नहीं है और सदस्य उनलोगों को सदन में आने के लिए कह सकते हैं। इससे पहले भी रेखा और तेंडुलकर को सदन में कम उपस्थिति को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। रेखा और तेंडुलकर के अलावा ऊपरी सदन में मनोनीत 12 सदस्यों में ओलिंपियन एम. सी. मैरीकॉम, पत्रकार स्वप्नदास गुप्ता और महिला कारोबारी अनु आगा भी शामिल हैं।
सचिन तेंदुलकर के साथ ही रेखा को भी अप्रैल 2012 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर नामांकित किया गया था. पिछले वर्ष रेखा सिर्फ तीन बार संसद की कार्यवाही में शामिल हुई थीं। रेखा नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद सिर्फ 10 बार राज्यसभा में आई हैं और कुल मिलाकर रेखा अपने संसदीय करियर में अब तक सिर्फ 16 बार राज्यसभा में दिखाई दी हैं।
पिछले साल यानी वर्ष 2016 में भी सचिन सिर्फ 9 बार राज्यसभा में हाज़िर रहे थे. सचिन तेंदुलकर ने सांसद के तौर पर पिछले 5 वर्षों में सिर्फ 22 सवाल पूछे हैं। सचिन तेंदुलकर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद सिर्फ 20 दिन संसद में दिखाई दिए हैं। राज्यसभा में उनकी उपस्थिति सिर्फ 8 प्रतिशत दर्ज की गई है।