देश में दशहरे के मोके पर जहां एक तरफ लोगों ने रावण के साथ-साथ आतंकवाद के भी पुतले बना कर फूंके वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में जेएनयू के कुछ छात्रों ने पीएम मोदी समेत बीजेपी पार्टी नेताओं व रामदेव के पुतले जलाकर उन पर अपना गुस्सा निकाला।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एनसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के सदस्य मसूद ने कहा, “हां, जेएनयू की एनएसयूआई यूनिट ने ऐसा किया है। हमारा प्रदर्शन वर्तमान सरकार से हमारा असंतोष प्रदर्शित करता है। विचार ये है कि सरकार से बुराई को बाहर किया जाए और एक ऐसा सिस्टम लाया जाए जो प्रो-स्टूडेंट और प्रो-पीपल हो।” कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई के कुछ सदस्यों ने बुराई के प्रतीक रावण की तरह पीएम मोदी को दर्शाते हुए पुतला फूंका। स्टूडेंट्स ने कार्ड पर स्लोगन लिखे- “बुराई पर सत्य की जीत होकर रहेगी।” इस साल अध्यक्ष पद के लिए जेएनयूएसयू चुनाव में हिस्सा लेने वाले सन्नी धीमान के मुताबिक, यह प्रदर्शन सरकार की सामूहिक विफलता का प्रतीक था। उन्होंने कहा, “पुतला सभी मोर्चों पर सरकार की विफलता को दर्शाने के लिए जलाया गया। यह प्रदर्शन गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों और दलितों पर अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे यूथ फोरम फॉर डिस्कशंस एंड वेलफेयर एक्टिविटीज (YFDA) को नोटिस जारी करने के जेएनयू प्रशासन के फैसले के खिलाफ था। हमें लगता है कि यूनिवर्सिटी ने ऐसा सरकार के दबाव में किया और वह YFDA को निशाना बना रहे हैं क्योंकि इस समूह में ज्यादातर मुस्लिम छात्र हैं।”
नाम न छापने की शर्त पर टीओआई से बातचीत में एक अन्य छात्र ने कहा, “देखिए इस सरकार ने देश का क्या हाल कर दिया है। जो वादे उन्होंने (मोदी) ने किए, कागज पर ही हैं। वह सिर्फ उन्हें भाषणों में दोहराते रहते हैं। इस दशहरा हमने बकवास खत्म करने का फैसला किया और उन्हें कुछ असल काम करने के लिए मजबूर किया जाए।” पुतले में रावण के मुख्य सिर के तौर केन्द्र में पीएम मोदी, अन्य सिरों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, नाथूराम गोडसे, योग गुरु रामदेव, साध्वी प्रज्ञा, आसाराम बापू और अन्य के चेहरे लगाए गए थे। पुतला जेएनयू कैंपस के मशहूर सरस्वती ढाबा के नजदीक जलाया गया। लोगों ने कथित तौर मोदी सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए।
































































