कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने कोर्ट के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि यह आदेश अवैध है इसे वापस लें। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार (9 मई) को कलकत्ता हाई कोर्ट के जज को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और उन्हें छह महीने की सजा सुनाई। साथ ही जस्टिस सीएस कर्णन को तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया था। यह पहला मौका है, जब किसी सिटिंग जज को अवमानना मामले में ऐसी सजा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को तत्काल जेल भेजने का आदेश दिया है। कर्णन जून में रिटायर हो रहे हैं।
आपको बता दें कि जस्टिस कर्णन ने मंगलवार (9 मई) को चैन्नई में अपना पक्ष रखने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जस्टिस कर्णन आखिरी बार उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही नजर आए थे और पुलिस अभी तक उन्हें नहीं ढूंढ पाई है। 10 मार्च को अवमानना के एक मामले में चीफ जस्टिस जी एस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ वारंट जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जस्टिस कर्णन नाराज हो गए। फिर कर्णन ने 14 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर सहित सात न्यायाधीशों को एससी एसटी एक्ट के उल्लंघन का दोषी बनाया और उनके खिलाफ इन आरोपों में समन जारी कर दिया।
कर्णन ने 20 जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया था। 9 मई को कर्णन को भारत के चीफ जस्टिस समेत शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया गया। कर्णन मंगलवार को चेन्नई से कोलकाता पहुंचे थे। बुधवार को कलकत्ता के सरकारी गेस्ट हाउस से जस्टिस कर्णन अचानक गायब हो गए थे।