27 साल पहले आज ही के दिन काफ़िर कह कर भगा दिए गए थे कश्मीरी पंडित

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कश्मीरी
फोटो साभार
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श्रीनगर: 20 जनवरी ही वह तारीख है जिसने जम्मू् कश्मीर में बसे कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया। इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे। 20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी पंडितों को काफिर करार दिया गया। मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, ‘कश्मीरी पंडित या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें।’ यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी पंडितों के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए। बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने अपने घर छोड़ दिए। एक अनुमान के मुताबिक करीब 1,00,000 कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़कर कश्मीर से चले गए।

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आज भी कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं बदला है। कई बार कश्मीरी पंडितों से कहा गया कि वे अपने घर लौट आएं लेकिन उनके अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2015 तक सिर्फ एक कश्मीेरी पंडित परिवार घाटी में वापस लौटा। वर्ष 2016 में कहा गया कि करीब 1800 कश्मीेरी पंडित युवा घाटी की ओर लौट आए हैं। इन युवाओं के पीछे वर्ष 2008 के उस पैकेज को वजह बताया गया जिसके तहत युवाओं को 1,168 करोड़ रुपए दिए गए।

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कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़ियों के दाम पर बेचा था। 27 वर्षों में कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं। आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है। इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता भी यू-ट्यूब पर शेयर की है। आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीरी पंडितों का दर्द बयां किया है।
अगले पेज पर देखिए- कश्मीरी पंडितों का दर्द बयां करती अनुपम खेर का वीडियो

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