नई दिल्ली : जो सफर में हो, उसका कत्ल करना इस्लाम में गुनाह होता है और मुसाफिर के साथ अल्लाह की हमदर्दी होती है। पाकिस्तान में श्रोताओं के लिए ऑल इंडिया रेडियो की विशेष सेवाओं में कुलभूषण जाधव के मामले में इसी बात पर जोर दिया जा रहा है। ये प्रसारण पश्तो, बलूची, पंजाबी, उर्दू, सिंधी और सरायकी सहित छह भाषाओं में होते हैं। एआईआर के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान के सिंध, पंजाब और बलूच इलाकों में ‘इन कार्यक्रमों के श्रोताओं की काफी संख्या है।’ जाधव पर केंद्रित एआईआर के बुलेटिंस भारत के कूटनीतिक कदम का हिस्सा हैं।
जाधव से जुड़ी सामग्री का प्रसारण सोमवार से शुरू हुआ। इन बुलेटिंस में काफी पैनी और ठोस दलीलें दी जा रही हैं। मंगलवार को प्रसारित एक बुलेटिन में कहा गया, ‘मुसाफिर के साथ अल्लाह की हमदर्दी होती है और अल्लाह की ताकत उसके सफर में उसको राह दिखाती रहती है। मुसाफिर का कत्ल करना या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना इस्लाम में गुनाह माना गया है।’
एआईआर के डायरेक्टर जनरल फैयाज शहरयार ने ईटी से कहा, ‘हम अपने बुलेटिंस में इस बात पर जोर देने की कोशिश कर रहे हैं कि यह सजा इस्लाम की सभी शिक्षाओं का उल्लंघन करती है।’ इन बुलेटिंस में पाकिस्तान के लोगों से यह अपील भी की गई है कि वे अपने देश के इस ‘इस्लाम विरोधी’ कदम की मुखालफत करें। शहरयार ने कहा, ‘हमें बलूच इलाके से सैकड़ों संदेश मिले हैं, जिनमें इस आरोप को पूरी तरह खारिज किया गया है कि जाधव किसी भी तरह की पाकिस्तान विरोधी हरकत में शामिल थे।’
एआईआर के संदेशों का मूल स्वर यह है कि मौत की सजा देना ‘अहमकाना’ और ‘इस्लाम विरोधी’ काम है। बुलेटिंस में यह भी कहा गया है कि जाधव के मुद्दे पर पाकिस्तान में सिविलियन गवर्नमेंट की चुप्पी से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तल्खी और बढ़ेगी। एआईआर के एक अधिकारी ने ईटी से कहा कि इन स्पेशल बुलेटिंस में पाकिस्तान को ऐसे देश के रूप में पेश किया जा रहा है, जो ‘इस्लाम या उसकी शिक्षाओं की परवाह नहीं करता और उसके बर्ताव, खासतौर से जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने को उसके परोक्ष समर्थन ने न केवल भारत में, बल्कि पाकिस्तान में भी उदारवादी तबके में गुस्सा पैदा किया है।’
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