गुरूवार को देश की राजनीति और दुनिया से एक ऐसे सितारे की विदाई हुई, जिसे पीएम मोदी ने भी अपनी निजी बताया, ये सितारा कोई और नहीं बल्कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे थे, जिनकी गुरूवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। अनिल माधव दवे अपनी सहजता और सादगी के लिए जाने जाते थे। अपनी मौत से 5 साल पहले 2012 में उन्होंने एक खत के जरिए अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी। आज वक्त आ गया कि उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया जाए। तो उनकी इच्छा के मुताबिक आज उनका अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे किया जाएगा।
ये पत्र पढ़कर आपको अंदाजा लगा जाएगा कि अनिल माधव दावे पर्यावरण के कितने बड़े प्रेमी थे और जमीन से जुड़े एक महान नेता की आड़ में एक सादगीभरे इंसान भी थे। साल 2012 में उन्होंने अपने हाथों से लिखे इस पत्र में अपनी मौत के बाद की इच्छा जाहिर की थी। आप भी इस पत्र को गौर से पढ़िए और देखिए सदैव प्रकृति और पर्यावरण के लिए समर्पित रहे कद्दावर नेता श्री दवे का ये आखिरी संकल्प।
अनिल माधव दवे ने अपनी अंतिम इच्छा में ये बातें लिखी…
# संभव हो तो मेरा अंतिम संस्कार बाद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाये.
# उत्तर किया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा, आडंबर ना हो.
# मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा ना बनाई जाए.
# जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं वे कृप्या वृक्षों को बोनें व उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करें, तो उन्हें खुशी होगी।उन्होंने लिखा कि ऐसा करते हुए भी मेरे नाम का इस्तेमाल ना करें।
उनकी इच्छा थी कि उनकी याद में स्मारक बनाने के बजाय पौधे लगाकर उन्हें बड़ा किया जाए और नदी, तालाबों को बचाया जाए। उनकी यह इच्छा उनके जाने के बाद सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है। दवे के भतीजे निखिल दवे ने से कहा, ‘वह (अनिल माधव दवे) हमसे कहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई स्मारक न बनाया जाए। अगर कोई व्यक्ति उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखना चाहता है, तो वह पौधे लगाकर इन्हें सींचते हुए पेड़ में तब्दील करे और नदी…तालाबों को संरक्षित करे।’