मूडीज ने वित्त मंत्रालय के इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि भारत के ऋण संबंधी हालात इतने बढ़िया नहीं हैं, जितना कि सरकार बता रही है। मूडीज ने इसके अलावा भारत के बैंकों को लेकर भी चिंता जाहिर की थी। मूडीज की एक प्रमुख स्वतंत्र विश्लेषक मेरी डिरॉन ने कहा था कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत का ना सिर्फ कर्ज संकट ज्यादा बड़ा है बल्कि कर्ज वहन करने की इसकी क्षमता भी काफी कम है।
डिरॉन से जब इस प्रकरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि रेटिंग संबंधी बातचीत सार्वजनिक नहीं की जा सकती है। उधर, वित्त मंत्रालय ने भी इस बारे में कॉमेंट करने से इनकार कर दिया। वित्त मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी अरविंद मायाराम ने सरकार के इस अप्रोच को पूरी तरह असाधारण बताया। उन्होंने कहा, “रेटिंग एजेंसियों पर किसी भी तरीके से दबाव नहीं बनाया जा सकता है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।”