घाटी के पत्थरबाजों से निपटने के लिए स्थानीय युवक को जीप से बांधकर मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले मेजर नितिन गोगोई को सेना ने सम्मानित किया है। गोगोई को आतंकवाद निरोधी कार्रवाई के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) कॉमन्डेशन से नवाजा गया है। रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से गोगोई को सम्मानित किए जाने के खबर की पुष्टि की है। गोगोई उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे, जब जम्मू-कश्मीर में एक स्थानीय युवक के आर्मी जीप से बंधे होने की तस्वीरें और विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। बहुत सारे लोगों ने सेना के इस कदम की आलोचना की थी और इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वॉयरी के आदेश भी हुए थे। हाल ही में आर्मी चीफ बिपिन रावत जम्मू-कश्मीर के दौरे पर थे। उसी वक्त गोगोई को यह सम्मान दिया गया।
हालांकि, बहुत सारे रक्षा जानकारों ने इस कदम की यह कहते हुए सराहना की कि इससे घाटी में हिंसा काबू करने में मदद मिली। इन लोगों का कहना है कि आम तौर पर पत्थरबाजी होने पर सेना को बल प्रयोग करना पड़ता है। इस कदम से बिना किसी हिंसा के पत्थरबाजों से निपटने में मदद मिली। सेना के सूत्रों के मुताबिक, जिन हालात में गोगोई ने ऐसा फैसला लिया, उसमें आम तौर पर सेना को फायरिंग करनी पड़ती है, लेकिन मेजर ने समझदारी का परिचय देते हुए यह कदम उठाया। स्थानीय युवक के जीप पर बंधे होने की वजह से भीड़ ने पत्थरबाजी ने नहीं की और पूरा काफिला सुरक्षित घटनास्थल से निकलने में कामयाब रहा।
आर्मी सूत्रों के मुताबिक, सेना इस कदम ने जिंदगियां बचाई थीं। उनके मुताबिक, इस साल 9 अप्रैल को करीब 500 पत्थरबाजों की भीड़ ने पोलिंग बूथ पर आईटीबीपी और पुलिस के जवानों के साथ चुनाव अधिकारियों को घेर लिया था। सूचना के बाद बडगाम में राष्ट्रीय राइफल कंपनी कमांडर अपनी क्विक रिस्पॉन्स टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हुए। सैनिकों ने एक पत्थरबाज को पकड़ उसे जीप की बोनट पर बांध दिया। पत्थरबाजों के बीच से सेना की 5 गाड़ियों के काफिले को सुरक्षित निकालने और लोगों को बचाने के लिए ऐसा किया गया। अभियान के बाद जीप से बंधे युवक को पुलिस को सौंप दिया गया। जीप से बंधे शख्स की पहचान बडगाम के रहने वाले फारूक अहमद डार (26) के तौर पर हुई थी।