पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध, गाय के दूध की दही, गाय के दूध के घी, जल और तीन अन्य पदार्थों से बना मिश्रण होता है और इसकी जांच के लिए भारत के विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय ने “नेशनल स्टीयरिंग कमिटी” का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन कर रहे हैं। कमेटी में केंद्र सरकार की विभिन्न विज्ञान संबंधी संस्थाओं के प्रमुख सदस्य के रूप में शामिल हैं। विज्ञान और तकनीक विभाग (डीएसटी) के मुताबिक इस कमेटी का मकसद पंचगव्य पर “वैज्ञानिक पुष्टि और शोध” होगा।
यह कमिटी पंचगव्य से जुड़े रिसर्च प्रोजेक्ट का चयन, निर्देशन और समीक्षा करेगी। कमेटी रिसर्च से मिले नतीजों को व्यापक लाभ के लिए इस्तेमाल करने के लिए बजट भी उपलब्ध कराएगी। इस पहल से जुड़े वैज्ञानिकों और अधिकारियों के अनुसार आधुनिक तकनीक के प्रयोग से केला, गुड़ और नारियल की तरह परंपरागत भारतीय पंचगव्य के उपयोग की संभावनाओं पर शोध किया जाएगा।
बताते चलें कि डॉक्टर हर्षवर्धन के अलावा नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर एवं वैज्ञानिक विजय भाटकर, सीएसआईआर के पूर्व चेयरमैन रघुनाथ माशेलकर, नागपुर स्थित गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र के प्रमुख सुनील मानसिंगका इत्यादि भी इस कमेटी के सदस्य हैं।
रिपोर्ट के अनुसार डीएसटी ने अभी इस कार्यक्रम के लिए बजट का अनुमोदन नहीं किया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रस्तावों की “गुणवत्ता और विविधता” के आधार पर बजट दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में आईआईटी दिल्ली डीएसटी का साझीदार होगा। आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से बायोगैस निकालने और उसे बोतलबंद करने की तकनीक का पेटेंट कराया है।