शक्ति लगाकर कार्य का विस्तार करना होगा
मोहन भागवत ने कहा कि स्वदेशी के प्रति जिस प्रकार का वातावरण समाज में निर्मित हुआ है, उसे और दृढ़ करने की आवश्यकता है। ऐसा करने से न केवल हमारे देश की आर्थिक स्थिति विश्व पटल पर और मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के भी साधन बढ़ेंगे। वर्तमान में अनुकूलता का दौर है, जिसके कारण समाज में संघ के बारे में विश्वास बढ़ा है। ऐसे में हमें और शक्ति लगाकर अपने कार्य का विस्तार करना है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को सचेत करते हुए कहा कि देश में वर्तमान में बनी परिस्थितियों से हताश, निराश लोग अशांति और भ्रम फैलाने का प्रयास कर सकते हैं। ऐसी परिस्थितियों में सज्जन शक्ति और राष्ट्रीय ताकतों को एकजुट होकर ऐसे प्रयासों को विफल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। सरसंघचालक ने कहा कि कार्यक्षेत्र में आने वाले अनुभवों का हमारे जीवन में सकारात्मक परिणाम होना चाहिए। कार्यकर्ता को चिंतन, स्वाध्याय और संवाद करते रहना चाहिए। चिंतनशीलता मनुष्य को समृद्ध बनाती है।
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