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AIMPLB के मुताबिक,”इस तरह अगर सुप्रीम कोर्ट यह तय करता है तीन तलाक वैध नहीं है तो यह पवित्र कुरान को दोबारा लिखे जाने जैसा होगा। कुरान की आयतें कुछ और नहीं बल्कि अल्लाह के शब्द हैं और यही इस्लाम का आधार हैं। कुरान के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ इस्लाम के मूलभूत तत्वों से छेड़छाड़ करने जैसा होगा।”
बोर्ड का कहना है कि सभी मुस्लिम कुरान और पैगम्बर के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। AIMPLB के मुताबिक अगर कोई मुस्लिम कुरान में मना किए गए कामों को अंजाम देता है तो वह गुनाह करता है। बोर्ड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कुरान के आदेशों के उल्लंघन का नतीजा अच्छा नहीं होगा। मसलन ऐसे रिश्तों से पैदा हुए बच्चे नाजायज कहलाएंगे और अपने पिता की संपत्ति में उनके हिस्से को लेकर विवाद हो सकता है।
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