बिहार के सीएम नीतीश कुमार आजकल बदले-बदले नज़र आ रहे हैं। एक तरफ उनकी बीजेपी से नज़दीकियां बढ़ती जा रही हैं तो दूसरी तरफ बिहार के महागठबंधन पर खतरा मंडराता जा रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ में एक-दिवसीय प्रवास के लिए छत्तीसगढ़ पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह देश की सर्वाधिक पारदर्शी वितरण प्रणाली है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से उनके निवास में सौजन्य मुलाकात भी की। जिसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया..लेकिन नीतीश को चर्चाओं से शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। यही वजह है कि एक बार फिर उनकी बीजेपी से नज़दीकियां बढ़ती दिख रही है।
अब खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भोज में सूबे के बीजेपी विधायक भी शामिल होंगे। हालांकि इस भोज में पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी शामिल नहीं हो सकेंगे। वह आज ही दिल्ली रवाना हो गये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास पर विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्यों को आज सोमवार को भोज पर आमंत्रित किया गया है। बजट सत्र समाप्ति को है और सत्र के आखिरी में भोज की परंपरा रही है।
विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता प्रेमकुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भोज में बीजेपी शामिल होगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 2009 के जख्म को हम नहीं भूले हैं। जदयू ने अतिथि देवो भवः की लाज नहीं रखी थी।
बीजेपी इस भोज में शामिल होगी या नहीं, इस पर कल तक संशय था। कल रविवार को बिजली के मुद्दे पर बीजेपी के प्रदेश पदाधिकारियों की हुई बैठक में यह मामला उठा था। बैठक में भाजपा के कुछ नेता इस भोज में शामिल होने के पक्ष में नहीं थे। बीजेपी के हार्डकोर नेता, जो 2009 में राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य थे, उनका साफ कहना था कि उस समय नीतीश कुमार की तरफ से नरेंद्र मोदी को दिया गया भोज रद्द किया गया था। इसे हम भूल नहीं पा रहे हैं।
बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने यह राय दी थी कि सार्वजनिक तौर पर सीएम माफी मांगते हैं, तभी भोज में जाना चाहिए। वहीं कुछ का कहना था कि कि यह शिष्टाचार भोज है। इसलिए इसका कोई राजनैतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। मुख्यमंत्री इस तरह का भोज पहली बार दे रहे हैं।