‘मेरे धर्म से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए’

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने रविवार(20 नवंबर) को कहा कि मनुष्य और भगवान में संबंध बहुत ही व्यक्तिगत होता है, इससे दूसरे किसी को मतलब नहीं होना चाहिए। ठाकुर ने समाज में शांति के लिए सहिष्णुता पर बल दिया।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मेरा धर्म क्या है? मैं ईश्वर से खुद को कैसे जोड़ता हूं? ईश्वर से मेरा कैसा रिश्ता है? इन चीजों से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। आप अपने ईश्वर के साथ अपना रिश्ता चुन सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान और ईश्वर के बीच का रिश्ता ‘नितांत निजी और व्यक्तिगत’ होता है। लिहाजा, इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की ओर से पारसी धर्म पर लिखी गई एक किताब के विमोचन के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस दुनिया में राजनीतिक विचारधाराओं से कहीं ज्यादा जानें धार्मिक युद्धों में गईं हैं।

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ज्यादा इंसानों ने एक-दूसरे की हत्या की है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि उनकी राह उसके रास्ते से ज्यादा अच्छी है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक काफिर है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक नास्तिक है। धार्मिक मान्यताओं की वजह से इस दुनिया में ज्यादा तबाही, नुकसान और खून-खराबे हुए हैं।

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