यूपी विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत से बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में अपनी संख्या पहले ही बढ़ा चुकी है। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में लोकसभा-राज्यसभा के साथ-साथ विधानसभाओं के सदस्य भी होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में बीजेपी स्पष्ट बहुमत से थोड़ा ही दूर थी लेकिन वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की घोषणा और टीआरएस के भी साथ आने के मिल रहे संकेतों के बाद राष्ट्रपति के लिए होने वाली जंग पूरी तरह खत्म होती नजर आ रही है।
इसके साथ ही बीजेपी कई अन्य क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने में सफल हो सकती है। उदाहरण के लिए, एआईएडीएमके ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है लेकिन बीजेपी आश्वस्त है कि वह उसका समर्थन पाने में कामयाब होगी। दूसरी तरफ विपक्ष भी तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी AIADMK को लेकर बहुत उम्मीद लिए नजर नहीं आ रहा है।
अगर बीजेडी की बात करें तो उसने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं जबकि ओडिशा सीएम नवीन पटनायक से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी संपर्क कर चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव हमेशा से ही एकजुट विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर रहा है लेकिन अब विपक्ष के लिए क्षेत्रीय दलों की वजह से राष्ट्रपति चुनाव जीतना नामुमिकन सा हो गया है।
कांग्रेस (YSR) और बीजेपी के साथ आने का मतलब है कि आंध्र प्रदेश की राजनीति की दो विपरीत धुरियां राष्ट्रपति चुनाव में एक तरफ खड़ी नजर आएंगी और राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के लिए वोट करेंगी। आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ टीडीपी बीजेपी की सहयोगी पार्टी है जबकि जगमोहन रेड्डी सीएम चंद्रबाबू नायडू के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं और उनकी जगह लेने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।
राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा-राज्यसभा के साथ-साथ विधानसभाओं के सदस्य भी भाग लेते हैं। यूपी-उत्तराखंड को मिलाकर फिलहाल देश के 12 बड़े राज्यों में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत की सरकार है।